शुक्रवार, 24 मार्च 2023

चमन चतुर

 

चमन चतुर

Synopsis

चमन और चतुर दोनों बहुत गहरे दोस्त हैं, और दोनों ही एक्टर बनना चाहते हैं. चमन और चतुर जहां भी जाते हैं, वहां कुछ न कुछ गड़बड़ कर के आजाते हैं. दोनों को बहुत अमीर बनना है लेकिन दोनों इतने बेवकूफ हैं कि एक बार दोनों ने एक चाय का स्टार्ट-अप करने की सोची तो ये दोनों वो चाय की दुकान भी ठीक से नहीं चला पाए. चीनी की जगह चाय में नमक डाल कर लोगों को पिला दी, और एक बार दूध की जगह फिनाइल चाय में डाल दिया.

दोनों की जिंदिगी ऐसे ही दुनिया और समाज से लड़ते झगड़ते, गुज़र रही होती है . लेकिन ये दोनों अपनी जिंदगी से बिलकुल भी परेशान नहीं है, ये दोनों अपनी जिंदगी को बहुत एन्जॉय कर रहे हैं. लेकिन गरीबी से अब परेशान हो गये हैं और अगले दिन इस मुंबई शहर को छोड़ कर जाने ही वाले होते है कि चमन को एक आइडिया आता है, वो चतुर से कहता यार कल हम इस शहर को छोड़ कर चले जायेंगे, क्यों न आज इस रात को सेलिब्रेट करें. तो दोनों फक्कड़ आदमी एक बार में जाते हैं और यहाँ इनकी किस्मत का एक नया दरवाज़ा खुलता है. और ये दोनों बेवकूफ लोग अपनी किस्मत की चाबी किसी और के हाथ में देकर फिर से ख़ाली हाथ अपने घर आजाते हैं. और बार की फ्री की दरु पी कर वहां मार खाते-खाते बचते हैं. 

लेकिन किस्मत के खेल से कौन बच सका है, जब किस्मत- चाबी आप के हाथ में देती है तो वो चाबी कहीं से भी घूम कर आप के हाथ में आ जाती है. और फिर से दोनों की किस्मत खुलती है . लेकिन इस बार ये उतना असन भी नहीं होता...

Written By:

Bhishak Mohan Sharma

शनिवार, 19 नवंबर 2022

Naina

आज मैं बहुत खुश हूं, पता है क्यों... क्योंकि आज मेरा सपना पूरा हो जाएगा... Yes, जिस बात का मुझे इतने सालों से इंतजार था वो आज हो गई... सोचो... सोचो... क्या नहीं सोच पाए...? चलो एक hint देती हूं... मुझे आज कॉल आया है... Yes, कॉल आया है? किस का? अरे आप अब भी नहीं समझे... आज मुझे अनुराग कश्यप जी का कॉल आया है। हां... वो गैंग्स ऑफ वासेपुर 3 बना रहे हैं और पता है उनकी लीड हीरोइन कौन है? जी हां... मैं और कौन? 
कॉल पर बोलते हैं, और सुनो नैना, मैं एक छोटी सी फ़िल्म बना रहा हूं... मेरी फिल्म में हीरोइन का रोल करोगी, अरे करलो ना...
मैंने कहा सर, आप "द अनुराग कश्यप" हो... ऐसे मत बोलो, आप तो बस ऑर्डर कीजिए कि आपके गुलाम को कब हाज़िर होना हैं हम तो तुरंत बम्बई आ जायेंगे फ्लाइट पकड़ के.... हाह... कितने साल लग गए इस एक छोटे से सपने को पूरा होने में... बॉलीवुड में हीरोइन बनने में... कितने साल मैंने मेहनत की, कितने कास्टिंग डायरेक्टरस से ऑफिसेज के चक्कर काटे, कितनों से मिन्नतें कीं... बस एक मौका, एक चांस मैं भी कुछ कर सकती हूं... लेकिन किसी ने मेरा टैलेंट नहीं देखा, देखा तो मेरा फिगर... किसी ने मुझ से मेरी मेहनत नहीं, मेरा काम नहीं पूछा... पूछा तो मेरे इंस्टाग्राम के फॉलोवर्स... लाइक्स, किसी ने मुझे रोल ऑफ़र नहीं किया, ऑफर किया तो वन नाइट स्टैंड... लेकिन आज मेरा टाइम आ गया, अब मैं दिखा दुंगी कि मैं भी कुछ हूं... Yes, Now I'm Going to be a Bollywood Star... Mumbai मैं आ रही हूं...

बात करो

आज कल के बच्चे पता नहीं क्या समझते हैं खुद को, मां बाप की एक बात नहीं सुनते... बस अपने आप में लगे रहते हैं। किसी से कोई मतलब नहीं ऐसा तो नहीं सिखाया था मैंने, मेरी बेटी कॉलेज आ कर सारा दिन अपने कमरे में बन्द रहती है, ज़रा ज़रा सी बात पर चीड़ जाती है, और मेरे बेटे की तो क्या बताऊं सारा दिन बाहर... सारी रात बाहर, रात को ग्यारह बारह बजे आएगा कहेगा की कॉलेज के असाइनमेंटस कर रहा था दोस्त के यहां... कुछ पूंछों तो दोनों कहते हैं मम्मा आप नहीं समझोगे... अरे क्या नहीं समझेंगे, तुम्हे पाल पोस कर इतना बड़ा इस लिए किया था क्या कि तुम हम से ये कहो कि आप नहीं समझोगे...क्या नहीं समझेंगे... 
मानती हूं कि ज़माना बदल गया है... हम old school हो गए हैं तो क्या? तुम एक बार हम से कह कर तो देखो बच्चा... हो सकता है हम न समझ पाएं, लेकिन एक बार हमें ट्राई तो कर के देखो, समझा कर तो देखो... अरे जब तुम छोटे थे एक बात को बार बार पूछते थे, एक ही सवाल दिन में चार बार... मम्मी ये क्या है... मम्मी ये क्या है... मम्मी ये पेड़ है क्या? मम्मी ये ताय है क्या? हम भी तो बताते थे न तुम्हे, बार बार समझते थे न... तो तुम क्यों नहीं हमें समझा सकते... क्यों बच्चा, क्यों...?

लीला

राम राम साब, साब आप से एक अरज थी... साब आपको तो पता है मेरा मरद दो साल हो गए जब सहर गया था... ससुरा तब का गया अब तक नहीं आया, ऊपर से अपनी जे औलादें और मेरे सिर छोड़ गया। हरिया गया था सहर, वो बता रहा था कि वहां किसी औरत के चक्कर में पड़ गया है... वैसे अच्छा ही हुआ साब जो छोड़ कर चला गया... कमीना...साला, रोज मुझे दारू पी कर मारता था और दारू के पैसे भी मेरे से ही लेता था... (कुछ देर सोच में) लेकिन जैसा भी था...तो मेरा मरद साब... साब आपसे एक वो थी वो अंग्रेजी में क्या कहते हैं, रिकवेस्ट थी साब... साब इस बार आप सहर जाओ तो क्या आपकी गाड़ी से मुझे ले चलोगे साब... साब मैं लोगों के चूल्हा चौका कर के इस गांव में बस इतना कमा पाती है कि मेरे दो बच्चों को दो टेम का निवाला खिला दे.. साब आपने मेरी बहुत मदद की है साब बस इतनी थोड़ी सी और मदद कर दो साब मैं मेरे मरद से मिल कर आपके साथ ही वापिस जाएगी...शुक्रिया साब,

शनिवार, 22 जनवरी 2022

सिर्फ़ मैं और तुम

सिर्फ मैं और तुम
कल्पना से भी बड़ा है ये संसार
घर ग्रह, गंगा-आकाशगंगा
लेकिन यहां सिर्फ तुम और मैं हैं
मानो जैसे चुना हो विधाता ने
हम दोनों को 
एक साथ जीने के लिए ये पल
हर लम्हा और जिदंगी
जो सिर्फ कुछ पल की है
ब्रम्हांड की गणना में
फिर भी साथ हैं
सिर्फ मैं और तुम

गुरुवार, 11 नवंबर 2021

ज़मीर

 ॐ श्री गणेशाय नमः

Screenplay

ज़मीर


Written By

Bhishak Mohan Sharma

bhishakmohan@gmail.com

9999401648




1. INT. A DARK ROOM, Day


(एक आदमी वाईट शर्ट ब्लैक पेंट में एक चेयर से बंधा है, बेशोह है, कोई ज़ोरदार पानी उसके चेहरे पर मरता है)


( पानी से Mr. MJ की बेहोशी टूटती है, थोड़ी सी आंखें खोल कर ऊपर देखता है)


(कैमरा सिर्फ एम जे को ही रिकॉर्ड के रहा है अभी)


एमजे: तुम...?

ज़मीर: तुम को क्या लगा था, इतने सालों की क़ैद और तुम्हारी मनमानी से में मर जाऊंगा?

एमजे: नहीं, तुम गलत समझ रहे हो

ज़मीर: समझ तो मुझे तब ही जाना चाहिए था, जब तुमने मुझे पहली बार मारने की कोशिश की थी, पर तब लगा की कर ही क्या सकते हो, यह काम ले चुके हो, ज़बान से फिर नहीं सकते।

लेकिन बाद में तो ये तुम्हारी आदत हो गई!

इसलिए वकील बने थे तुम?

एमजे: देखो हम आराम से भी बात कर सकते हैं...Man to Man talk?

ज़मीर: मेरी शक्ल पर चूतिया लिखा है? की मैं तुझे खोलूं और तू मुझ पर हमला कर दे?

एमजे: नहीं तुम ऐसा कैसे सोच सकते हो, तुम को क्यों मरूंगा मैं?

ज़मीर: (एक ज़ोरदार तमाचा एमजे के चेहरे पर मरता है)

झूठ से सख़्त नफ़रत है मुझे!

(एमजे गुस्से से आग बबूला हो कर ज़मीर की तरफ़ देखता है) 

(अब कैमरा ज़मीर को एमजे के (आई एंगल) लो एंगल से रिकॉर्ड करेगा, ज़मीर एमजे का हम शक्ल है, उसका आधा चेहरा जला हुआ है)

(ज़मीर उसकी आंखों में आंखें डाल कर, जले चेहरे से मुस्कुराते हुए देखता है, फिर जोर से उसके ऊपर दहाड़ता है, फिर हंसने लगता है)

ज़मीर: देख क्या रहे हो, यह मैं नहीं तुम हो।

जितनी ही बार तुम ने मेरे खिलाफ़ जा कर काम किया, हर बार तुम ने अपनी रूह को जलाया, मुझे जलाया।

अपनी आत्मा पर एक कला दाग लगाया...


याद है उस बूढ़ी औरत का चेहरा, जो लगातार तुम से, उस जज से, उन गवाहों से मदद मांग रही थी?

इंसाफ मिलेगा इस उम्मीद में, कचहरी में आई थी, भारत के संविधान पर भरोसा करके।

लेकिन तुम्हारे जैसे लालचखोरों की वजह से उस बुढ़िया की तरह हर बार भारत माता खून के आंसू रोती है।

एमजे: नहीं तुम सही कहते हो, मेरे से गलती हुई है मुझे पछतावा है।

अब खोल दो मुझे?

ज़मीर: (एक चांटा और मारते हुए) फिर झूंठ, तुम क्यों भूल जाते हो की मैं तुम्हारा ही हिस्सा हूं, 

एमजे: हां तो क्या हुआ...?, इस दुनिया में इतने सारे वकील हैं, जज हैं, इंजीनियर है, डॉक्टर हैं, घूसखोर अधिकारी हैं!

उनके पास जा! मेरे पास क्यों आता है।

ज़मीर: क्योंकि मैं तुम्हारा ज़मीर हूं ?

एमजे: तो मैं क्या करूं? वकील हूं मैं। मेरा पेशा है, गलत को सही और सही को गलत साबित करना? 

ज़मीर: और जज को गुमराह करना, बेगुनाह को सजा दिलवाना, गुनहगारों को बचाना?

एमजे: कौन क्या है? इसका फैसला करने के लिए जज हैं, मेरा जो काम है मैं वो करता हूं...केस लड़ता हूं

ज़मीर: तो हर बार किसी गलत आदमी को जिताने के बाद गरीबों को खाना क्यों खिलाते हो,

अपने ऊपर वाले से माफ़ी क्यों मांगते हो?

एमजे: मन करता है तो खिलाता हूं?

एमजे: तुम मुझे एक बात बताओ, ये तुम्हारे अन्दर बड़ी खुजली है, जो हर बार जाग जाते हो, और इस बार मुझे बांध कर रखा हुआ है, जान से मारने का इरादा है क्या?

ज़मीर: काश मैं ऐसा कर पाता?

एमजे: पर क्यों?, और भी तो लोग है दुनिया में, लेकिन मेरा ही ज़मीर क्यों मुझ से सवाल करता है?

ज़मीर: क्योंकि मैं तुम्हारे अंदर ज़िंदा रहना चाहता हूं, और तुम को भी जिंदा रखना चाहता हूं।

एमजे: अरे मुझे नहीं रहना तुम्हारे साथ ज़िंदा? कोशिश की थी शुरू में हमने, बात नहीं बनी न, भुखमरी में मारने की हालत हो गई थी, और कौन सही है कौन गलत के फेर में पड़ कर मेरा पेशा तो कभी नहीं चल सकता, सारी दुनिया ऐसी है मैं कोई अकेला नहीं हूं।

ज़मीर: पर अब तो तुम वापिस पहले वाले एमजे बन सकते हो, जो सच्चे लोगों के केस लेता था।

एमजे: फिर से सड़क पर आने के लिए, उधारी में जीने के लिए, अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में पढ़ाऊंगा।

ज़मीर: तुम ने कभी सोचा है जिन लोगों को तुम आज़ाद करवाते हो, वो समाज के लिए गटर के कीड़ों से भी भयानक हैं, भेड़ियों से भी खतरनाक हैं।

एमजे: मुझे समाज से कुछ लेना देना नहीं है, Be practical आज का समाज सिद्धांत विद्धांत नहीं पैसा देखता है, इज़्ज़त करता है यह समाज मेरी।

ज़मीर: अगर सभी ऐसा सोचने लगेंगे तो सोचो कैसे रहोगे इस दुनिया में तुम

एमजे: सब ऐसा ही सोचते हैं

ज़मीर: सब ऐसा नहीं सोचते एमजे, अगर सब ऐसा सोचते होते, तो तुम्हारी बेटी रोज स्कूल से घर सही सलामत नहीं आजाती, तुम्हारी बीवी इतनी आज़ादी से लेट नाइट सेफ घर नहीं आ पाती।

एमजे: बस करो, इस सब के बीच में मेरे परिवार को मत लाओ।

ज़मीर: तुम्हारा क्या एमजे, इस सब के बीच में सभी का परिवार आता है।

ज़मीर: जो सड़क डेह जाती है, जो पुल टूट जाता है, उस पर तुम्हारी बीवी भी घर जाती है, और उसी पर तुम्हारी बेटी भी?

एमजे: बस करो ज़मीर, अब तुम लाइन क्रॉस कर रहे हो!

ज़मीर: तुम घूसखोरों को, कानून का उलंघन करने वालों को तुम बचाते हो, और कानून की बाजू बनने की बजाय उसे कमज़ोर करते हो, कभी सोचा है, वो कानून मजबूत रहेगा तभी तुम्हारा परिवार और समाज सुरक्षित रहेगा।

नहीं तो क्या पता समाज का कोई भेड़िया किसी दिन कानून की जंजीर तोड़ कर तुम्हारे ही घर पर हमला कर दे, तुम्हारी बीवी और बेटी को...

(इतना बोलते ही, एमजे कुर्सी से छूट कर ज़मीर पर टूट पड़ता है)

एमजे: (बोलते बोलते ज़मीर को मारता जाता है, और जान से मारने की हद्द तक पीटता है)

बोल रहा हूं, बस कर बस कर, फैमिली को बीच में मत ला, मार दूंगा जान से, मार दूंगा, मार दूंगा...( ज़मीर अधमरा सा हो गया है) मार दिया साले को...मार दिया...



2. INT. BED ROOM, NIGHT

एमजे: (बिस्तर पर बीवी के साथ लेटा है, नींद में, पसीने से तर बडबडा रहा है) मार दिया, मार दिया साले को, अब नहीं बोलेगा

बीवी:(नींद से जागते हुए) एमजे, क्या हुआ? किसे मार दिया।

एमजे:( बीवी को देखता है) तुम ठीक हो?

बीवी: तुम काम का ज्यादा स्ट्रेस मत लिया करो,आज कल ये क्रिमिनल्स के केस ज्यादा लेने लगे हो तुम, इधर आओ, कोई बुरा सपना देखा है तुम ने..

बीवी: (एमजे को गले से लगाती है)

(एमजे उसके गले लगता है, अंधेरे में पीछे दीवार के पास फोकस करता है, देखता है, उसका ज़मीर आधे जले चेहरे के साथ खड़ा है)

(एमजे पलक झपकाता है, ज़मीर एक सेकेंड में उसके नज़दीक आ जाता है: स्क्रीन ऑफ,)

वाइस ओवर: तुम मुझे नहीं मार सकते


टाइटल: ज़मीर

नंबरिंग

The End

सोमवार, 18 अक्टूबर 2021

चोर की मौत

हमारा नाम है गोपी मास्टर उंगलियों का जादूगर हूं मैं कैसे? चलते-चलते पैसे कमा लेता हूं, आदमियों की जेब, औरतों का पर्स, मेरी नजर से कुछ नहीं छुपता। अब तुम कहोगे कि मैं चोर हूं...तो जो आप मुझसे बचकर निकल भी जाएंगे तो इन साहूकार व्हाइट कॉलर, सूट-बूट कुर्ता पजामा पहने लोगों से कैसे बचेंगे इनमें और मुझ में बस इतना फर्क है कि जब यह आपके गली-मोहल्ले से गुजरते हैं तो आप उनके सामने सलाम ठोकते हैं और जब मैं आपके सामने पढ़ता हूं तो आप मुझे सिर्फ ठोकते हैं। रहने दो, अब आगे कहूंगा तो बुरा लग जाएगा... फर्क बस इतना है कि यह पढ़े लिखे पर्दे के पीछे के चोर हैं और मैं खुलेआम सामने चोरी करता हूं। सही-गलत के फर्क में मैं कभी पढ़ा नहीं मां-बाप का प्यार मुझे कभी मिला नहीं और स्कूल कभी गया नहीं



पिछले हफ्ते एक बुढ़िया को रोड क्रॉस कराया और उसका मेहनताना उसके पास से ले लिया, इतना बुरा भी नहीं हूं मैं ₹50 उसके पास में छोड़ दिए और मैं वहां से फरार।
कुछ रोज बाद मैंने उस बुढ़िया को सड़क के पास फटे हाल लोगों से खाना मांगते हुए देखा, पिछले हफ्ते ही तो जब उसे देखा था तो एकदम भली चंगी अच्छे घर की लग रही थी आज देखा तो बस ऐसा लगा कि शायद इसे पहचानता हूं थोड़ी देर बाद समझ आया कि यह तो वही बढ़िया है जिससे मेहनताना लिया था। मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरक गई कुछ आसपास के लोगों से पूछा तो पता चला दिल्ली गेट के एक हॉस्पिटल में इसका लड़का एडमिट था तकरीबन 1 हफ्ते पहले इन्हीं लोगों से शाम के वक्त रो-रो कर 1800 ₹ मांग रही थी। 
बोल रही थी 'मेरे बेटे के लिए इंजेक्शन खरीदना है कोई कुछ पैसे दे दो नहीं तो मर जाएगा, मैं कल ला कर लौटा दूंगी, मेरे पास पैसे थे लेकिन किसी ने चोरी कर लिए', 
लोगों को ऐसा लगा जैसे भगवान टॉकीज पर 10-20 रुपए मांगने वाले ठोंग कर रहे होते हैं, की कोई भैया 10 रुपए दे दो, 20 रुपए दे दो, घर जाना है जेब कट गई है, ये बुढ़िया भी वैसे ही ढोंग कर रही है। तब किसी ने उसकी मदद नहीं की, लेकिन अगली सुबह उसके बेटे की मौत पता चला तब लोगों को यकीन हुआ, लोगों ने बताया कि बुढ़िया उसके बाद से घर ही नहीं गई, उसके परिवार में शायद बस एक बेटा ही था उसका, उसके बाद से बस अस्पताल के सामने बैठी रही तीन चार रोज़ तक। फिर इसकी जानवरों से भी बदतर हालत हो गई।
   मैंने एक दौना बेड़ई कचौड़ी खरीदी हमारे आगरा मथुरा सुबह का नाश्ता है यह, वो दौना लेकर में उस बुढ़िया के पास गया, हाथ आगे किया, खा लो माई मैं कहने ही वाला था की उसने मेरा बढ़ा हुआ हाथ उसकी ओर देखा और लपक के दोनों हाथों से दौना छीन लिया और खाने लगी। वो अपने बेटे की मौत से अपनी सुध बुध खो चुकी थी उसे खाते देख कर कोई यकीन ही नहीं कर सकता था की यह वही बुढ़िया है जो कुछ रोज़ पहले इतनी अमीर दिख रही थी। मैं उसे अपने साथ अपने कमरे पर ले आया। उसकी हालत देखकर अंदर से फूट-फूट कर रो रहा था बस वह आंसू आंखों से बाहर नहीं आ रहे थे। अब वो मेरे साथ ही रहती है और मैं अब चोरी नहीं करता मेहनत करता हूं। मेरी चोरी की वजह से एक मौत ने मेरे उस ज़मीर को ज़िंदा कर दिया जिसको में जनता भी नहीं था। लेकिन इन सफेदपोशों, air कंडीशन कमरों में बैठे मेहनतकशत लोगों की वजह से जो हजारों मौतें होती हैं उसका इन पर शायद कोई प्रभाव नहीं पड़ता, इनका ज़मीर कभी नहीं पलटता। मेरी जिंदगी का पहला खाना मुझे जो याद है, मैंने चोरी से खाया था लेकिन यह तय है कि मेरी मौत चोरी के खाने से नहीं होगी। उस बुढ़िया के बेटे की मौत के साथ मेरे अंदर के चोर की भी मौत हो गई।

रविवार, 5 सितंबर 2021

शिक्षक जो राह दिखाए

जीवन की राह में जो मार्ग दिखाए
सही गलत की जो पहचान कराए
शिक्षा से जीवन में प्रकाश जगाए
अपने नैतिक ज्ञान से 
जो जनमानस को सिंचता जाए,

स्वहित से परे जो सर्वप्रथम 
राष्ट्रहित सिखाए
वही जो तुम को
सत्यमेव जयते का पढ़ाए,

तिनका तिनका मानस से
वो राष्ट्र निर्माण करता जाए
संपूण जीवन जिसने केवल बांटा
जननी के बाद
जिसने तुम्हारे अवगुणों को छांटा,

सम्पूर्ण ब्रह्मांड में न कोई कर पाया, 
एक मात्र आचार्य हैं वो
जिसने अपने ज्ञान से संसार सजाया
जिसने अपने ज्ञान से संसार सजाया...

रविवार, 22 अगस्त 2021

मेरे पड़ोस में

मेरे पड़ोस में 
एक मकान छोड़ कर दूसरे मकान में
मुहम्मद अली उस्बेक का मकान है
मुहल्ले में मेरे कई कौमों के कई मकान हैं
अली की मुहल्ले में एक छोटी-सी दुकान है
उसके अब्बा-अम्मी, चार भाई शादी-शुदा,
चार बहनें कुंवारी, एक बीवी और बाक़ी औलादें हैं

माली हालत उसकी थोड़ी ख़ाली थी
नदी के उस पार चचा एंथोनी ने 
उसके घर की कश्ती संभाली थी,
घर का राशन, अस्पताली इलाज़ 
और चौथ वसूली वालों से 
चचा को सुरक्षा दिलानी थी

सेवादार थे 
अली के दो भाई, एक बीवी चचा के यहां
हमारे शहर में चचा का एक रुतबा है,
कई संस्थाएं हैं चचा की इन वसूलीदारों के खिलाफ

एक रोज़ वसूलीदार मुहम्मद अली उस्बेक के 
घर में घुस आए,
अली का बाप, जिसकी जिम्मेदारी थी घर को बचाना,
परिवार के लिए जरूरत पड़े तो मिट जाना,
वो छत छलांगता दूसरों के मकानों में 
छिपता नज़र आता है

मुहम्मद को चचा का भरोसा था कि चचा आयेंगे
लेकिन चचा का एक संदेशा आया
बच्चा वसूलीदाराें ने तुम्हारा घर है हथियाया
अब तुम को खुद ही लड़ना होगा 
नहीं तो उनके सामने सरेंडर करना होगा

दाने-दाने को मोहताज अली का परिवार,
बूढ़ी मां देखती है 
अपनी औलादों का नरसंहार
घर के कुछ मर्दों ने घोल दी अपनी खुद्दारी 
कुछ ने अपनी जान गवां दी बेचारी

उस्बेक ने एक परिंदे के पैरों में लंगर लटकाया,
आसमान में भर के उड़ान 
भाग निकलने का सपना सजाया,
बीच सफ़र में कहीं उसका हाथ छूटा 
नीचे जमीन पर गिरा वो 
जिंदगी से उसका साथ छूटा


वसूलीदारों ने मुहल्ले में विश्वास दिखाया
कहा घर चाहिए हमें ये
अब इसको हम पहले से बेहतर चलाएंगे
कुछ न कहेंगे इन औरतों को 
बस अपनी बात मनवायेंगे

मुहल्ले के भी कुछ घरों से आवाज़ आई
कोई बात नहीं भाई 
ये घर तो एक गुलाम था
तुमने इसे हथिया कर इसे आज़ादी है दिलाई
उस घर में औरतों को नोचा जा रहा था
मासूम बच्चियों को भी दबोचा जा रहा था
चीखों से सारा मोहल्ला देहला जा रहा था
मेरे और कुछ बाक़ी के घरों में भी बैचेनी थी
बच्चों के आंसू भी अब मकान से बाहर 
लाल रंग में 
बहते नज़र आते थे

लेकिन कुछ पड़ोसी थे जो अब भी 
उस मकान का मज़ाक उड़ा रहे थे,

उनके दर्द से मुहल्ले की दीवारें भी रो रहीं थीं,
दीवारों में दरारें थी मोहल्ले की
रात और दिन उस मकान से निकलती 
औरतों की चीखें थी,

मुहल्ले के कई घरों में 
अली के मकान की चिंता थी,
जिन-जिन को नहीं है हो सकता है 
कल उनके मकानों से भी वही चीखें न आएं, 
खैर ऐसा कभी न हो 

लेकिन
अब उस घर की कमज़ोर औरतों ने 
मुंह खोला था
साफ लफ्जों में खुल कर बोला था
मौत दो एक बार मंज़ूर है हमें,
तुम्हारी गुलामी में रोज़ नहीं मरना है
ये घर मेरा है
अब इसी में लड़ना है, 
इसी में मरना है

गुरुवार, 1 जुलाई 2021

हेयर कट

साला कान पर से टोपा हटाता तब सुनाई देता ना, 
उसे चार बार बोला था 
'बाल छोटे मत करियो' 
एक बार तो उसके बॉस ने भी कह दिया 
भईया बाल बड़े रखते हैं छोटे मत करियो, जैसे कह रहे हैं वैसे ही करियो, 
साला पता नहीं क्या नशा करके बैठा था, कैंची ली और गुद्दी पर से कट...एक सेकंड में साला चार शॉट मार गया कच-कच-कच-कच, मैंने फिर कहा 'भाई छोटे नहीं करने हैं'
तो कहता है, 'नहीं भैया बस कर्ली बाल हटा रहा हूं'
फिर साला चार शॉट मार गया
कच-कच-कच-कच, 
मैंने कहा 'रुक जा, रुक जा काका रुक जा, कान पर से टोपा हटा और रुक जा' 
लेकिन क्या फायदा? तब तक तो भाई साहब बाल छोटे कर चुके थे। 
क्या फायदा?
इतने सालों से मेंटेन किया हुआ लुक, उस लॉलीपॉप-सी शक्ल वाले ने कर दिया खराब, फिर बाद में जैसे-तैसे सेट करवा कर यह ऊपर के चांद के बाल बचाये हैं, जो आपको यह मेरे सिर पर खड़े घौंसले जैसे दिखाई दे रहे हैं, उसके बॉस शंकर ने ही सेट किए थे। 

कहता है, 'भैया इसमें बड़े डीसेंट लग रहे हो'

दिल मैं आया एक झापड़ खींच कर दूं, 
'अबे लॉलीपॉप, तेरे चूज़े जैसे चेले ने मेरे इतने सालों का मेंटेन किया हुआ लुक खराब कर दिया... पैसे तो पूरे लेगा तू लपड़ झन्ने...
बहरहाल हम अपने नए लुक के साथ कॉलेज पहुंचे, ऐसा रिस्पांस तो हमें कभी नहीं मिला था, जिसे देखो वह कन्या हमारे विषय में वार्तालाप कर रही थी...

और फिर आई हमारे दिल की धड़कन...
वह सामने आती है तो बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है, पेड़ों से पत्ते झड़ने लगते हैं...हवाएं चलने लगती हैं...और जैसा बॉलीवुड फिल्मों में होता है, गिटार और वायलिन बजने लगते हैं, वैसे ही मेरे दिल की धड़कन भी गिटार की स्ट्रिंग्स की तरह बजने लगती हैं
तिडिंग-तिडिंग-तिंग-तिंग-तिंग,
तिडिंग-तिडिंग-तिंग-तिंग-तिंग...

इतने सारे शोर के बीच उसने हल्के-से धीरे-से अपनी मधुर आवाज में कहा
'सुनो अच्छे लग रहे हो', 
'आय-हाय...अब तो तय कर लिया है, हेयर स्टाइल हमारा यही रहेगा... वैसे इतने बुरे भी नहीं काटे हैं, हमने अपने मोटरसाइकिल के शीशे में बालों को देखा...अरे ठीक नहीं बहुत अच्छे हैं।
चलिए अभी निकलते हैं, मैडम को ज़रा छोड़ कर आना है...
फिर मिलेंगे.

चमन चतुर

  चमन चतुर Synopsis चमन और चतुर दोनों बहुत गहरे दोस्त हैं, और दोनों ही एक्टर बनना चाहते हैं. चमन और चतुर जहां भी जाते हैं, वहां कुछ न कु...