शनिवार, 19 नवंबर 2022

बात करो

आज कल के बच्चे पता नहीं क्या समझते हैं खुद को, मां बाप की एक बात नहीं सुनते... बस अपने आप में लगे रहते हैं। किसी से कोई मतलब नहीं ऐसा तो नहीं सिखाया था मैंने, मेरी बेटी कॉलेज आ कर सारा दिन अपने कमरे में बन्द रहती है, ज़रा ज़रा सी बात पर चीड़ जाती है, और मेरे बेटे की तो क्या बताऊं सारा दिन बाहर... सारी रात बाहर, रात को ग्यारह बारह बजे आएगा कहेगा की कॉलेज के असाइनमेंटस कर रहा था दोस्त के यहां... कुछ पूंछों तो दोनों कहते हैं मम्मा आप नहीं समझोगे... अरे क्या नहीं समझेंगे, तुम्हे पाल पोस कर इतना बड़ा इस लिए किया था क्या कि तुम हम से ये कहो कि आप नहीं समझोगे...क्या नहीं समझेंगे... 
मानती हूं कि ज़माना बदल गया है... हम old school हो गए हैं तो क्या? तुम एक बार हम से कह कर तो देखो बच्चा... हो सकता है हम न समझ पाएं, लेकिन एक बार हमें ट्राई तो कर के देखो, समझा कर तो देखो... अरे जब तुम छोटे थे एक बात को बार बार पूछते थे, एक ही सवाल दिन में चार बार... मम्मी ये क्या है... मम्मी ये क्या है... मम्मी ये पेड़ है क्या? मम्मी ये ताय है क्या? हम भी तो बताते थे न तुम्हे, बार बार समझते थे न... तो तुम क्यों नहीं हमें समझा सकते... क्यों बच्चा, क्यों...?

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