पिछले हफ्ते एक बुढ़िया को रोड क्रॉस कराया और उसका मेहनताना उसके पास से ले लिया, इतना बुरा भी नहीं हूं मैं ₹50 उसके पास में छोड़ दिए और मैं वहां से फरार।
कुछ रोज बाद मैंने उस बुढ़िया को सड़क के पास फटे हाल लोगों से खाना मांगते हुए देखा, पिछले हफ्ते ही तो जब उसे देखा था तो एकदम भली चंगी अच्छे घर की लग रही थी आज देखा तो बस ऐसा लगा कि शायद इसे पहचानता हूं थोड़ी देर बाद समझ आया कि यह तो वही बढ़िया है जिससे मेहनताना लिया था। मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरक गई कुछ आसपास के लोगों से पूछा तो पता चला दिल्ली गेट के एक हॉस्पिटल में इसका लड़का एडमिट था तकरीबन 1 हफ्ते पहले इन्हीं लोगों से शाम के वक्त रो-रो कर 1800 ₹ मांग रही थी।
बोल रही थी 'मेरे बेटे के लिए इंजेक्शन खरीदना है कोई कुछ पैसे दे दो नहीं तो मर जाएगा, मैं कल ला कर लौटा दूंगी, मेरे पास पैसे थे लेकिन किसी ने चोरी कर लिए',
लोगों को ऐसा लगा जैसे भगवान टॉकीज पर 10-20 रुपए मांगने वाले ठोंग कर रहे होते हैं, की कोई भैया 10 रुपए दे दो, 20 रुपए दे दो, घर जाना है जेब कट गई है, ये बुढ़िया भी वैसे ही ढोंग कर रही है। तब किसी ने उसकी मदद नहीं की, लेकिन अगली सुबह उसके बेटे की मौत पता चला तब लोगों को यकीन हुआ, लोगों ने बताया कि बुढ़िया उसके बाद से घर ही नहीं गई, उसके परिवार में शायद बस एक बेटा ही था उसका, उसके बाद से बस अस्पताल के सामने बैठी रही तीन चार रोज़ तक। फिर इसकी जानवरों से भी बदतर हालत हो गई।
मैंने एक दौना बेड़ई कचौड़ी खरीदी हमारे आगरा मथुरा सुबह का नाश्ता है यह, वो दौना लेकर में उस बुढ़िया के पास गया, हाथ आगे किया, खा लो माई मैं कहने ही वाला था की उसने मेरा बढ़ा हुआ हाथ उसकी ओर देखा और लपक के दोनों हाथों से दौना छीन लिया और खाने लगी। वो अपने बेटे की मौत से अपनी सुध बुध खो चुकी थी उसे खाते देख कर कोई यकीन ही नहीं कर सकता था की यह वही बुढ़िया है जो कुछ रोज़ पहले इतनी अमीर दिख रही थी। मैं उसे अपने साथ अपने कमरे पर ले आया। उसकी हालत देखकर अंदर से फूट-फूट कर रो रहा था बस वह आंसू आंखों से बाहर नहीं आ रहे थे। अब वो मेरे साथ ही रहती है और मैं अब चोरी नहीं करता मेहनत करता हूं। मेरी चोरी की वजह से एक मौत ने मेरे उस ज़मीर को ज़िंदा कर दिया जिसको में जनता भी नहीं था। लेकिन इन सफेदपोशों, air कंडीशन कमरों में बैठे मेहनतकशत लोगों की वजह से जो हजारों मौतें होती हैं उसका इन पर शायद कोई प्रभाव नहीं पड़ता, इनका ज़मीर कभी नहीं पलटता। मेरी जिंदगी का पहला खाना मुझे जो याद है, मैंने चोरी से खाया था लेकिन यह तय है कि मेरी मौत चोरी के खाने से नहीं होगी। उस बुढ़िया के बेटे की मौत के साथ मेरे अंदर के चोर की भी मौत हो गई।
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