पुरुषार्थ से भरा पुरुष देखना चाहते हैं
चरित्रवान, धैर्यवान, रघुकुल राम देखना चाहते हैं
हम धर्म वीर देखना चाहते हैं
हम तुम में सारी वीरता देखना चाहते हैं
तुम उठो बढ़ो और कहो
बस यही हम तुम से चाहते हैं
महान उद्देश्य है हमारा
कुर्बानी हम तुम से चाहते हैं
आओ चलो साथ हमारे
वीर तुम्हें बनाना चाहते हैं
नहीं हम में सवाल न दागो
सवाल तो हम दागने जाते हैं
तुम आखें मूंदे साथ दो
बस यही हम तुमसे चाहते हैं
हम ही सत्य की कसौटी हैं
ये समझना चाहते हैं
उठो तुम वीर बनो
हम तुम को दागना चाहते हैं
हमारा नपुंसक हुआ पुरुषार्थ
अब हम तुम्हारे भीतर चाहते हैं
तुम फूल सा नाज़ुक न समझो
फूल है तुम्हारे सीने में
हमारी मोटी चमड़ी न बदल सकी
तुम्हारी नाज़ुक खाल वो बदलेगी
हम तो यहीं है बैठे
और सदैव ही पांव जमाएंगे
हम तो काले नाग हैं
पुरुषार्थ की दुहाई से
तुम को डसते जाएंगे
आओ हमारे पास तुम
तुमको जीवन का मूल्य हम सिखाएंगे...
एकदम सटीक टिप्पणी है...👏
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