गुरुवार, 18 जून 2020

एक कलाकार के नाम

कौन सही कौन ग़लत ये तो बस वो ही जाने
मेरा ख़ुदा तो बस किरदार का ईमान माने

बहस तुम्हारे जाने से भी छिड़ गई
मेरी वैचारिक क्षमता फिर एक साथी से भिड़ गई

उसने कहा तुम में कुछ अंश राजनीति का भी होना था
मैंने कहा मेरे दोस्त तुमको राजनीति में होना था

कलाकार से सिर्फ कला की मांग होती है
क्योंकि वही उसकी पहचान होती है

कला में राजनीति सिर्फ मक्कार करते हैं
क्योंकि वो कलाकार की ताक़त से डरते हैं

हर बाज़ी जीत जाएं ऐसा भी नहीं होता है 
कभी मंज़िल तो कभी रास्ता भी खोता है

ऐसे ज़िन्दगी से मुंह मोड़
कोई कब सोता है

शायद जब  सपनों का महल डेहता नज़र आए 
तभी ऐसा होता है ...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चमन चतुर

  चमन चतुर Synopsis चमन और चतुर दोनों बहुत गहरे दोस्त हैं, और दोनों ही एक्टर बनना चाहते हैं. चमन और चतुर जहां भी जाते हैं, वहां कुछ न कु...