एक रोज़ उसने जब तुम्हारे बारे में बात की
उसके माध्यम से मैंने तुमसे मुलाक़ात की
तभी सोचा था कि एक रोज़
हकीक़त में मुलाक़ात होगी
उस रोज़ हम दोनों की
जिज्ञासाओं और खोजों की भी बात होगी
सिर्फ तुम उस फेहरिस्त में शामिल थे
ऐसा भी नहीं था
एक मकबूल भी था
तो एक इशान भी था
ख़ैर रह जाते है कई ख़्वाब अधूरे
कुछ आधे कुछ पूरे
एक रोज़ मिलेंगे वहां
जहां सब को मिलना है
ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी बाद भी चलना है
ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी बाद भी चलना है
Wahhhh👏👏
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