पहली दफा सुना होगा जब
इस संसार के शोर को
ज़रूर सहम गया होंगा मैं
तुम्हारी कोख में,
ज़रूर तुमने हाथ फिरा कर कहा होगा
डर मत मेरे बहादुर बच्चे
तू सुरक्षित है हर ख़तरे से मेरी कोख में,
लेकिन जब इस दुनिया में आया
डर से रोता हुआ
तुमने अपने सीने से लगाया
और कहा चुप होजा मेरे बच्चे क्यों रोता है
मैं हूं,
तुझे बलशाली बनाऊंगी
तेरे साए में बड़ा हुआ
तू ने बोलना सिखाया,
उंगली पकड़ कर चलना सिखाया,
उस उंगली को जिस दिन तुम ने छुड़ाया
याद है बहुत रोया था मैं स्कूल के पहले दिन
डर से क्या क्या सोचा था मैंने
तुमने शाम को गले से लगाया
हर मोड़ पर लड़ना सिखाया
मेरी हर जीत की खुशी को
तुमने मुझ से ज़्यादा मनाया
जब पहली बार मैं बोला, चला, और दौड़ा
जब कलेजे पर पत्थर रख कर
तुमने मुझे स्कूल में छोड़ा
मेरी हर परीक्षा में हमेशा
तुम पास और फेल होती हो मेरे साथ
चाहे स्कूल, कॉलेज हो या मेरा जीवन
जीवन तुमने दिया मुझे
लेकिन कभी अपना नहीं कहा उसे
शिक्षा, शक्ति और जीवन के मूल्य
सभी तो तुम्हारे हैं
आसान तो कतई नहीं रहा होगा मुझे संभालना
और अपने संस्कारों से मुझे पोषित करना
हर पांच कदम की दूरी पर मुझे गोदी लेना
और फिर मीलों का सफ़र पैदल तय करना
मैं तो आज भी इस संसार से भय खाता हूं
सुरक्षित स्वयं को सिर्फ तुम्हारी गोदी में पाता हूं
जब तुम मेरे सिर पर उतने ही प्यार से
हाथ फिरा कर मुझे सुलाती हो
जब पहली दफा डरा था
और तुमने मुझे बहादुर बच्चा कहा था
नींद तो तुम्हारी गोद में ही आती है
जो सारी चिंताओं से पल भर में मुक्ति दिलाती है।
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