कमी तुम में नहीं है
कमी उन में है जो तुम में कमी ढूंढते हैं
क्योंकि वो सिर्फ तुम्हारे में ही नहीं
सभी में कमी ढूंढते हैं
पूरा तो कोई भी नहीं है
बेदाग तो चांद भी नहीं है
तुम कभी उनको चांद दिखा कर देखना
और कभी दिखा देना ताज महल भी
मेरे शहर में है
दुनिया का एक नायाब अजूबा
उनका सवाल उल्टे तुम से ही होगा
उस दाग से भरे पिंड में क्या सुंदर दिखा
कैसी ये सफेद पत्थर की इमारत तुमने दिखाई
इस मकबरे में क्या खूबसूरती तुम को नज़र आई
ज़ालिम था वो जिसने इसे बनवाया
इसे बनाने वालों के हाथों को था उसने कटवाया
वो कहेंगे तुमको पहचान नहीं है
कभी चलो उनके मकान पर
वहां बनाई है उन्होंने छप्पर की एक झोंपड़ी
तुम एक बार को चकरा जाओगे
सीधे शाहजहां से सवालों की झड़ी लगाओगे
ठहरो ख़ुद को यूं न उलझाओ
कुछ पल दिल हटा कर दिमाग़ लगाओ
कल जो कहा था उसने क्या वो आज निभाया
अपनी बात पर क्या वो टिक पाया
तुमसे भी कभी किसी की शिकायत उसने लगाई थी
कल उन्हीं से उसने पहचान बढ़ाई थी
जो हर बात पर शिकायत लगाएगा
वह अपने साथ तुम्हें भी फंसाएगा
उनसे ख़ुद को बचाओ
ख़ुद पर भरोसा दिखाओ
उसे शिकायत है वो रहेगी
तुम बस अपनी पहचान बनाओ
ख़ुद को आगे बढ़ाओ
ख़ुद को आगे बढ़ाओ