ॐ श्री गणेशाय नमः
Screenplay
ज़मीर
Written By
Bhishak Mohan Sharma
9999401648
1. INT. A DARK ROOM, Day
(एक आदमी वाईट शर्ट ब्लैक पेंट में एक चेयर से बंधा है, बेशोह है, कोई ज़ोरदार पानी उसके चेहरे पर मरता है)
( पानी से Mr. MJ की बेहोशी टूटती है, थोड़ी सी आंखें खोल कर ऊपर देखता है)
(कैमरा सिर्फ एम जे को ही रिकॉर्ड के रहा है अभी)
एमजे: तुम...?
ज़मीर: तुम को क्या लगा था, इतने सालों की क़ैद और तुम्हारी मनमानी से में मर जाऊंगा?
एमजे: नहीं, तुम गलत समझ रहे हो
ज़मीर: समझ तो मुझे तब ही जाना चाहिए था, जब तुमने मुझे पहली बार मारने की कोशिश की थी, पर तब लगा की कर ही क्या सकते हो, यह काम ले चुके हो, ज़बान से फिर नहीं सकते।
लेकिन बाद में तो ये तुम्हारी आदत हो गई!
इसलिए वकील बने थे तुम?
एमजे: देखो हम आराम से भी बात कर सकते हैं...Man to Man talk?
ज़मीर: मेरी शक्ल पर चूतिया लिखा है? की मैं तुझे खोलूं और तू मुझ पर हमला कर दे?
एमजे: नहीं तुम ऐसा कैसे सोच सकते हो, तुम को क्यों मरूंगा मैं?
ज़मीर: (एक ज़ोरदार तमाचा एमजे के चेहरे पर मरता है)
झूठ से सख़्त नफ़रत है मुझे!
(एमजे गुस्से से आग बबूला हो कर ज़मीर की तरफ़ देखता है)
(अब कैमरा ज़मीर को एमजे के (आई एंगल) लो एंगल से रिकॉर्ड करेगा, ज़मीर एमजे का हम शक्ल है, उसका आधा चेहरा जला हुआ है)
(ज़मीर उसकी आंखों में आंखें डाल कर, जले चेहरे से मुस्कुराते हुए देखता है, फिर जोर से उसके ऊपर दहाड़ता है, फिर हंसने लगता है)
ज़मीर: देख क्या रहे हो, यह मैं नहीं तुम हो।
जितनी ही बार तुम ने मेरे खिलाफ़ जा कर काम किया, हर बार तुम ने अपनी रूह को जलाया, मुझे जलाया।
अपनी आत्मा पर एक कला दाग लगाया...
याद है उस बूढ़ी औरत का चेहरा, जो लगातार तुम से, उस जज से, उन गवाहों से मदद मांग रही थी?
इंसाफ मिलेगा इस उम्मीद में, कचहरी में आई थी, भारत के संविधान पर भरोसा करके।
लेकिन तुम्हारे जैसे लालचखोरों की वजह से उस बुढ़िया की तरह हर बार भारत माता खून के आंसू रोती है।
एमजे: नहीं तुम सही कहते हो, मेरे से गलती हुई है मुझे पछतावा है।
अब खोल दो मुझे?
ज़मीर: (एक चांटा और मारते हुए) फिर झूंठ, तुम क्यों भूल जाते हो की मैं तुम्हारा ही हिस्सा हूं,
एमजे: हां तो क्या हुआ...?, इस दुनिया में इतने सारे वकील हैं, जज हैं, इंजीनियर है, डॉक्टर हैं, घूसखोर अधिकारी हैं!
उनके पास जा! मेरे पास क्यों आता है।
ज़मीर: क्योंकि मैं तुम्हारा ज़मीर हूं ?
एमजे: तो मैं क्या करूं? वकील हूं मैं। मेरा पेशा है, गलत को सही और सही को गलत साबित करना?
ज़मीर: और जज को गुमराह करना, बेगुनाह को सजा दिलवाना, गुनहगारों को बचाना?
एमजे: कौन क्या है? इसका फैसला करने के लिए जज हैं, मेरा जो काम है मैं वो करता हूं...केस लड़ता हूं
ज़मीर: तो हर बार किसी गलत आदमी को जिताने के बाद गरीबों को खाना क्यों खिलाते हो,
अपने ऊपर वाले से माफ़ी क्यों मांगते हो?
एमजे: मन करता है तो खिलाता हूं?
एमजे: तुम मुझे एक बात बताओ, ये तुम्हारे अन्दर बड़ी खुजली है, जो हर बार जाग जाते हो, और इस बार मुझे बांध कर रखा हुआ है, जान से मारने का इरादा है क्या?
ज़मीर: काश मैं ऐसा कर पाता?
एमजे: पर क्यों?, और भी तो लोग है दुनिया में, लेकिन मेरा ही ज़मीर क्यों मुझ से सवाल करता है?
ज़मीर: क्योंकि मैं तुम्हारे अंदर ज़िंदा रहना चाहता हूं, और तुम को भी जिंदा रखना चाहता हूं।
एमजे: अरे मुझे नहीं रहना तुम्हारे साथ ज़िंदा? कोशिश की थी शुरू में हमने, बात नहीं बनी न, भुखमरी में मारने की हालत हो गई थी, और कौन सही है कौन गलत के फेर में पड़ कर मेरा पेशा तो कभी नहीं चल सकता, सारी दुनिया ऐसी है मैं कोई अकेला नहीं हूं।
ज़मीर: पर अब तो तुम वापिस पहले वाले एमजे बन सकते हो, जो सच्चे लोगों के केस लेता था।
एमजे: फिर से सड़क पर आने के लिए, उधारी में जीने के लिए, अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में पढ़ाऊंगा।
ज़मीर: तुम ने कभी सोचा है जिन लोगों को तुम आज़ाद करवाते हो, वो समाज के लिए गटर के कीड़ों से भी भयानक हैं, भेड़ियों से भी खतरनाक हैं।
एमजे: मुझे समाज से कुछ लेना देना नहीं है, Be practical आज का समाज सिद्धांत विद्धांत नहीं पैसा देखता है, इज़्ज़त करता है यह समाज मेरी।
ज़मीर: अगर सभी ऐसा सोचने लगेंगे तो सोचो कैसे रहोगे इस दुनिया में तुम
एमजे: सब ऐसा ही सोचते हैं
ज़मीर: सब ऐसा नहीं सोचते एमजे, अगर सब ऐसा सोचते होते, तो तुम्हारी बेटी रोज स्कूल से घर सही सलामत नहीं आजाती, तुम्हारी बीवी इतनी आज़ादी से लेट नाइट सेफ घर नहीं आ पाती।
एमजे: बस करो, इस सब के बीच में मेरे परिवार को मत लाओ।
ज़मीर: तुम्हारा क्या एमजे, इस सब के बीच में सभी का परिवार आता है।
ज़मीर: जो सड़क डेह जाती है, जो पुल टूट जाता है, उस पर तुम्हारी बीवी भी घर जाती है, और उसी पर तुम्हारी बेटी भी?
एमजे: बस करो ज़मीर, अब तुम लाइन क्रॉस कर रहे हो!
ज़मीर: तुम घूसखोरों को, कानून का उलंघन करने वालों को तुम बचाते हो, और कानून की बाजू बनने की बजाय उसे कमज़ोर करते हो, कभी सोचा है, वो कानून मजबूत रहेगा तभी तुम्हारा परिवार और समाज सुरक्षित रहेगा।
नहीं तो क्या पता समाज का कोई भेड़िया किसी दिन कानून की जंजीर तोड़ कर तुम्हारे ही घर पर हमला कर दे, तुम्हारी बीवी और बेटी को...
(इतना बोलते ही, एमजे कुर्सी से छूट कर ज़मीर पर टूट पड़ता है)
एमजे: (बोलते बोलते ज़मीर को मारता जाता है, और जान से मारने की हद्द तक पीटता है)
बोल रहा हूं, बस कर बस कर, फैमिली को बीच में मत ला, मार दूंगा जान से, मार दूंगा, मार दूंगा...( ज़मीर अधमरा सा हो गया है) मार दिया साले को...मार दिया...
2. INT. BED ROOM, NIGHT
एमजे: (बिस्तर पर बीवी के साथ लेटा है, नींद में, पसीने से तर बडबडा रहा है) मार दिया, मार दिया साले को, अब नहीं बोलेगा
बीवी:(नींद से जागते हुए) एमजे, क्या हुआ? किसे मार दिया।
एमजे:( बीवी को देखता है) तुम ठीक हो?
बीवी: तुम काम का ज्यादा स्ट्रेस मत लिया करो,आज कल ये क्रिमिनल्स के केस ज्यादा लेने लगे हो तुम, इधर आओ, कोई बुरा सपना देखा है तुम ने..
बीवी: (एमजे को गले से लगाती है)
(एमजे उसके गले लगता है, अंधेरे में पीछे दीवार के पास फोकस करता है, देखता है, उसका ज़मीर आधे जले चेहरे के साथ खड़ा है)
(एमजे पलक झपकाता है, ज़मीर एक सेकेंड में उसके नज़दीक आ जाता है: स्क्रीन ऑफ,)
वाइस ओवर: तुम मुझे नहीं मार सकते
टाइटल: ज़मीर
नंबरिंग
The End