ये खामोशी भी आवाज़ करती है,
क्यों हर एक आँख फ़रियाद करती है,
क्यों दिखता है किसी का बचपन लाचार,
कि बेबसी भी अब बस करने की फरियाद करती है,
क्यों नन्हे हाथों में मेहनत के छाले हैं,
क्यों बच्चे जो सब की आँखों के तारे हैं,
आज सड़कों के अवारा पत्थर बेचारे हैं ...
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