अफ़सोस तो सब जताते हैं
दिल की तक़लीफ़ भी दिखाते हैं
एक अदालत है हम सबके सीने में
उसमें कुछ पल का मुक़दमा भी चलाते हैं
अफ़सोस तो हम सब जताते हैं
यहां दिल के कटघरे में पेशी होती है सभी की
यहां सभी मुल्ज़िम करार भी दिए जाते हैं
सज़ाएं भी सबको तुरंत सुना दी जाती हैं
समाधान भी सब निकल आते हैं
फिर भी अफ़सोस तो हम सब जताते हैं
क्या मंत्री और क्या प्रधानमंत्री, सबको लाइन में लगाते हैं
जब व्यवस्था पर बात आती है, तो सब को समझाते हैं
बुद्धिजीवियों की तरह ज्ञान बरसाते हैं और भाषण भी सुनाते हैं
बस यूं ही एक रात में बदलाव चाहते हैं
सुनो तुम समझ लो तुम को क्या करना है
मुझसे सवाल ना करना कि मैंने क्या किया है
जितना मेरे बस में था उससे कहीं ज़्यादा किया है
चलो एक चाय पिलवाओ फिर आगे का क़िस्सा सुनाते हैं
देश की समस्याओं पर कुछ बात चलाते हैं
चाय के साथ व्यवस्था का गाना गाते हैं
व्यवस्था तो ऐसी ही है और इसी में हमको जीना है
लेकिन चौड़ा अपना सीना है
क्योंकि अब ये ज़हर तुम को पीना है
कान इधर लाओ कुछ पते की बात तुमको बताते हैं
परिवर्तन तो हम सब चाहते हैं
लेकिन ख़ुद में कितना बदलाव लाते हैं
क्रोध तो हमको बहुत आता है
दिल बड़ी ज़ोर से बदलाव चाहता है
ज़िन्दगी गुज़ार दी हमने इसी आस में
अगर ये ताक़त होती पास में
दुनिया को हम सिखाते
कि देश को कैसे हैं चलाते
बस यही चुनाव कभी हो नहीं पाया
जनता का जमावड़ा कभी हमारे घर नहीं आया
जनता का जमावड़ा कभी हमारे घर नहीं आया...
Nice👍👍
जवाब देंहटाएंShaandar bhai.,har dil ki juban hai ye kavita
जवाब देंहटाएंGood one 😍
जवाब देंहटाएंBhai itna talent late kaha se ho yaar...
जवाब देंहटाएंJandar bhai god blessed you...
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