बुधवार, 11 मार्च 2020

मुश्किल नहीं है कुछ भी

मुश्किल नहीं है कुछ भी इस जग में
मुश्किल नहीं है कुछ भी इस जग में
जो तू ठान ले एक बार अपने मन में
तूफानों को तेरी एक फूंक उड़ा देगी
चट्टानों को तेरी मेहनत पिघला देगी

तू सर्वश्रेष्ठ रचना है उस ईश्वर की
उठ खड़ा हो और ललकार
चल बहुत हुआ अब भर हुंकार
तुझसा बड़ा वीर कौन है इस धरती पर

एकलव्य है तू ख़ुद को कर केंद्रित
बाधाएं क्यों देखता है मूर्ख नहीं है तू
समाधान है आसपास ही,  देख सही
तू है वही वीर जो गिरता है

रेंगता है कुछ क्षण युद्ध भूमि पर
समझाता है ख़ुद को हर बार फिर लड़ता है
जब तक लक्ष्य नहीं कर लेता मुट्ठी में
मुश्किल नहीं है कुछ भी इस जग में
मुश्किल नहीं है कुछ भी इस जग में...

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