बुधवार, 18 मार्च 2020

मौका हमें नहीं मिलपाया



अफ़सोस तो सब जताते हैं
दिल की तक़लीफ़ भी दिखाते हैं
एक अदालत है हम सबके सीने में
उसमें कुछ पल का मुक़दमा भी चलाते हैं
अफ़सोस तो हम सब जताते हैं

यहां दिल के कटघरे में पेशी होती है सभी की
यहां सभी मुल्ज़िम करार भी दिए जाते हैं
सज़ाएं भी सबको तुरंत सुना दी जाती हैं
समाधान भी सब निकल आते हैं
फिर भी अफ़सोस तो हम सब जताते हैं

क्या मंत्री और क्या प्रधानमंत्री, सबको लाइन में लगाते हैं
जब व्यवस्था पर बात आती है, तो सब को समझाते हैं
बुद्धिजीवियों की तरह ज्ञान बरसाते हैं और भाषण भी सुनाते हैं
बस यूं ही एक रात में बदलाव चाहते हैं


सुनो तुम समझ लो तुम को क्या करना है
मुझसे सवाल ना करना कि मैंने क्या किया है
जितना मेरे बस में था उससे कहीं ज़्यादा किया है
चलो एक चाय पिलवाओ फिर आगे का क़िस्सा सुनाते हैं

देश की समस्याओं पर कुछ बात चलाते हैं
चाय के साथ व्यवस्था का गाना गाते हैं
व्यवस्था तो ऐसी ही है और इसी में हमको जीना है
लेकिन चौड़ा अपना सीना है
क्योंकि अब ये ज़हर तुम को पीना है

कान इधर लाओ कुछ पते की बात तुमको बताते हैं
परिवर्तन तो हम सब चाहते हैं
लेकिन ख़ुद में कितना बदलाव लाते हैं
क्रोध तो हमको बहुत आता है
दिल बड़ी ज़ोर से बदलाव चाहता है

ज़िन्दगी गुज़ार दी हमने इसी आस में
अगर ये ताक़त होती पास में
दुनिया को हम सिखाते
कि देश को कैसे हैं चलाते
 बस यही चुनाव कभी हो नहीं पाया
जनता का जमावड़ा कभी हमारे घर नहीं आया
जनता का जमावड़ा कभी हमारे घर नहीं आया...

बुधवार, 11 मार्च 2020

मुश्किल नहीं है कुछ भी

मुश्किल नहीं है कुछ भी इस जग में
मुश्किल नहीं है कुछ भी इस जग में
जो तू ठान ले एक बार अपने मन में
तूफानों को तेरी एक फूंक उड़ा देगी
चट्टानों को तेरी मेहनत पिघला देगी

तू सर्वश्रेष्ठ रचना है उस ईश्वर की
उठ खड़ा हो और ललकार
चल बहुत हुआ अब भर हुंकार
तुझसा बड़ा वीर कौन है इस धरती पर

एकलव्य है तू ख़ुद को कर केंद्रित
बाधाएं क्यों देखता है मूर्ख नहीं है तू
समाधान है आसपास ही,  देख सही
तू है वही वीर जो गिरता है

रेंगता है कुछ क्षण युद्ध भूमि पर
समझाता है ख़ुद को हर बार फिर लड़ता है
जब तक लक्ष्य नहीं कर लेता मुट्ठी में
मुश्किल नहीं है कुछ भी इस जग में
मुश्किल नहीं है कुछ भी इस जग में...

चमन चतुर

  चमन चतुर Synopsis चमन और चतुर दोनों बहुत गहरे दोस्त हैं, और दोनों ही एक्टर बनना चाहते हैं. चमन और चतुर जहां भी जाते हैं, वहां कुछ न कु...