शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2019

अब तुम से क्या शिकायत करूं

सोचा कुछ शिकायतें करूँ तुम से
कुछ दूर शिकायत के सफर पर
ऐहसास हुआ

कुछ बने- कुछ टूटे ख्वाब न हों
कुछ किससे जीत और हार न हों
किसी का प्यार और प्यार की मार न हो
कुछ खास और कुछ बकवास यार न हों
कभी खुशी कभी ग़म की बौछार न हो
कभी उदासी और कभी मुस्कान न हो
तो ज़िन्दगी क्या हो...? और कैसी हो...?

ऐ ज़िन्दगी, तुम जो हो, जैसी हो
बड़ी खूबसूरत, बड़ी हसीन हो,

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