कल्पना से भी बड़ा है ये संसार
घर ग्रह, गंगा-आकाशगंगा
लेकिन यहां सिर्फ तुम और मैं हैं
मानो जैसे चुना हो विधाता ने
हम दोनों को
एक साथ जीने के लिए ये पल
हर लम्हा और जिदंगी
जो सिर्फ कुछ पल की है
ब्रम्हांड की गणना में
फिर भी साथ हैं
सिर्फ मैं और तुम
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