इश्क्शुदा
लोग कहते हैं ये रोग बुरा है
एक आशिक ज़माने से जुदा है
मुहब्बत पर जो फ़िदा हुआ
ज़माने में फिर वो किसका हुआ है
समझाया बहुतों ने
मगर हम ने एक न मानी
तेरी निगाहों के एक वार पर
दिल की बाज़ी लगा दी
तुम मुस्कुरा कर देखतीं ए-मुहब्बत हमें
उससे पहले ही दिल की वसीहत कर डाली
लोग जब होते हैं शादीशुदा
तब खाते हैं कसमें
हमने तो इश्क्शुदा होकर ही
सारी कस्म-ए-रस्म निभा डाली