रविवार, 26 फ़रवरी 2017

इश्क्शुदा

 

इश्क्शुदा

लोग कहते हैं ये रोग बुरा है 
एक आशिक ज़माने से जुदा है 

मुहब्बत पर जो फ़िदा हुआ 
ज़माने में फिर वो किसका  हुआ है 

समझाया बहुतों ने 
मगर हम ने एक न मानी 

तेरी निगाहों के एक वार पर 
दिल की बाज़ी लगा दी 

तुम मुस्कुरा कर देखतीं ए-मुहब्बत हमें   
उससे पहले ही दिल की वसीहत कर डाली 

लोग जब होते हैं शादीशुदा 
तब खाते  हैं कसमें 

हमने तो इश्क्शुदा होकर ही 
सारी कस्म-ए-रस्म  निभा डाली 

चमन चतुर

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